उत्तराखंडी राजनीति की अपूर्णीय क्षति है डॉ. शेर सिंह का निधन

20 अप्रैल, 2021

प्रो. शेर सिंह बिष्ट के आकस्मिक निधन से हमने उत्तराखंडी लोक साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान को खोया है। उत्तराखंड के ग्रामीण परिवेश में पले बढ़े लोक जीवन में रचे बसे डॉ. बिष्ट ने अपनी रचनाओं से लोक जीवन के लगभग सभी पक्षों को सामने लाने का काम किया। एक ऐसे दौर में जब दुनिया में विकृत पूंजीवादी सोच के चलते साहित्य जगत को समृद्ध करने वाली लोक भाषाओं, बोलियों, विविधता के अस्तित्व ख़तरे से जूझ रही है तब समान धर्मी, साथियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर उनका नेतृत्व करते हुए कुमाऊंनी भाषा के विभिन्न स्वरूपों, उसकी आधारभूत संरचना का सिलसिलेवार अध्ययन कर उसको वैज्ञानिक स्वरूप प्रदान करने में उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया। डॉ. बिष्ट कुमाऊं विश्वविद्यालय में उन गिने चुने अध्यापकों में रहे जिन्होंने अध्ययन, अध्यापन, साहित्य, शोध के क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित किया और प्रशासनिक दायित्वों का भी निर्वहन किया और राष्ट्रीय स्तर पर भी उत्तराखंड को गौरवान्वित करते हुए अनेक सम्मान प्राप्त किए। सामाजिक, राजनीतिक क्षेत्र में भी हमें उनका सहयोग प्राप्त होता था। उनके निधन से अाई रिक्तता की क्षति पूर्ति संभव नहीं है। डॉ. बिष्ट को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि।

पी. सी. तिवारी केंद्रीय अध्यक्ष उपपा